Thursday, 29 November 2018

अंडमान के सेंटिनिलीज आदिवासियों से पहले पहल आत्मीय सम्बन्ध बनाया था महिला शोधकर्ता मधुमाला चट्टोपाध्याय ने 


नई दिल्ली, 29 नवंबर। आज से करीब तीन  दशक पहले एक युवा महिला शोधकर्ता को अंडमान और निकोबार के सेंटिनिलीज आदिवासियों  ने अपने द्वीप के तट पर पाँव रखने की अनुमति दी थी। डॉ मधुमाला चट्टोपाध्याय को यह दुर्लभ उपलब्धि मिली थी कि वह  पहली शख्स बनीं  जो दुनिया से कटे पड़े सेंटिलीज द्वीप के आदिवासियों से रूबरू हो सकीं।

 कुछ दिन पहले हाथ में बाइबिल लेकर अमेरिकी मिशनरी जॉन एलन चाउ भी इस द्वीप में जाना चाहता था। अपने एकाकी और विशिष्ट जीवन शैली को सुरक्षित रखने के प्रति जागरूक सेंटिलीज लोगों ने ऐसे सभी घुसपैठियों का प्रतिकार धनुष-बाण से किया।  इसी में अमेरिकी युवक को अपनी जान गंवानी पड़ी। लेकिन सेंटिलीज लोगों के साथ पहले पहल आत्मीय संपर्क कायम करने का श्रेय मधुमाला चट्टोपाध्याय को ही मिला।
मधुमाला इस समय केंद्र सरकार के सामजिक कल्याण और अधिकारिता मंत्रालय में वरिष्ठ अधिकारी हैं। वह अधिसूचित और घुमंतू जनजाति राष्ट्रीय आयोग में संयुक्त निदेशक के रूप में कार्यरत हैं।
एक युवा शोधकर्ता के रूप में मधुमाला जनवरी-फरवरी 1991 में  अपने सहयोगियों के साथ इस अनजान द्वीप के रहस्यमय  बाशिंदों से मिलने गयी थीं। यह शोधकर्ता दल अपनी जान जोखिम में डाल कर सेंटिलीज लोगों के बारे में अध्ययन करना चाहता था। द्वीप की ओर पहली यात्रा में आदिवासियों ने नृवंशशास्त्रीय दल पर बाण चलाये लेकिन दूसरी बार मधुमाला का स्वागत किया गया और उन्हें तट पर आने दिया गया।
मधुमाला ने अंडमान के आदिम लोगों पर दशकों तक  अध्ययन किया है और इस विषय पर एक  पुस्तक "ट्राइब्स ऑफ़ कार निकोबार" (कार निकोबार की जनजातियों) लिखी है।
मधुमाला अपने साथियों के साथ अंडमान-निकोबार प्रशासन के जलयान एमवी तरमुगली पर सवार होकर 4 जनवरी 1991 को उत्तरी सेंटिनल दक्षिण-पश्चिम छोर पर पहुंचीं थीं। शोधकर्ताओं के दल में मधुमाला एकमात्र महिला थीं। दल में नाविकों सहित कुल 13 लोग थे। इनमें अंडमान निकोबार प्रशासन के जनजाति कल्याण विभाग के निदेशक एस अवराड़ी, एक चिकित्सक डॉ अरुण मलिक और नृवंशशास्त्री के रूप में मधुमाला शामिल थीं।  दल एक नाव उस इलाके की ओर रवाना हुया जहाँ सेन्टीनिलिज की छोटी बस्ती थी।

नाव जब उस क्षेत्र  में पहुंची तो तट पर कोई नजर नहीं आया। कुछ देर बाद पेड़ों के पीछे दो चार लोग दिखाई दिए। इनमें से चार के हाथ में धनुष बाण था। मधुमाला और उनके साथियों  ने नाव पर रखे गए कुछ नारियल पानी में फेंकने शुरू किये। सेंटिनिलीज ने कुछ इंतजार किया मानों वे यह तय कर रहे हों कि इन अपरिचित बिन बुलाये मेहमानों की मंशा क्या है। कुछ समय बाद वह नाव की ओर आये और पानी में तैर रहे नारियल एकत्र किये। शोधकर्ता दल ने नाव पर रखी  नारियल की पूरी खेप पानी में फेंक  दी। आदिवासी  एक डोंगी ले आये और टोकरियों में सारे नारियल रख लिए। सेंटिलीज ने यह सौगात  तो ग्रहण की लेकिन अजनबियों के साथ दूरी बनाये रखी। टीम के लोग सेंटिलीज से मुलाक़ात प्रफुल्लित थे। वे और नारियल लेने के लिए वापस अपने जलयान पर लौट गए।  दोपहर बाद उनकी नाव फिर वहां आई। मधुमाला को अंडमान की दूसरी जनजातियों की भाषा के कुछ वाक्य पता थे। उन्होंने चिल्लाया- " नारियली जाबा जाबा" ( और नारियल आये हैं ) इस बार सेंटिलीज अजनबियों के प्रति जयादा आश्वस्त  थे। वे नाव के नजदीक तक आ गए।  एक युवक ने नाव को हाथ से भी पकड़ लिया।  इतने में तट पर खड़े एक दूसरे युवा ने हाथ में धनुष लेकर बाण तान लिया। यह तनाव के क्षण थे। मधुमाला एकटक होकर बाण की और देखती रहीं। बाण छूटा लेकिन सौभाग्य से किसी को लगा नहीं। यह इस कारण को सका क्योंकि युवक के पास खड़ी एक सेंटिलीज महिला ने उसे धक्का  दे दिया और बाण का निशाना चूक गया। बाण पानी में आकर गिरा। सेंटिलीज महिला नहीं चाहती थी कि अजनबी दोस्तों को कोई नुकसान पहुंचे।
इस हमले की परवाह नहीं करते हुए मधुमाला नाव से पानी में कूद गयीं और सेंटिलीज लोगों के एकदम पास पहुँच गयीं। वह अपने हाथ से आदिम दोस्तों को नारियल देने लगीं। दुनिया के नृवंश अध्ययन इतिहास में वह एक नयी इबारत लिख रही थीं।
शायद टीम में एक महिला के होने से सेंटिलीज लोगों को यह भरोसा हो गया कि ये लोग उन्हें नुकसान पहुंचाने नहीं आये हैं। सेंटिलीज लोग अपने समुदाय में महिलाओं का बहुत ध्यान रखते हैं।
इतना सब होते हुए भी सेंटिलीज लोगों ने टीम के सदस्यों को तट पर नहीं आने दिया। वह हजारों साल से अपने इलाके की रक्षा  कर रहे हैं।  इसमें कोई कोताही करने के लिए वे तैयार नहीं थे।
मधुमाला 21 फरवरी को फिर वहां  पहुंचीं। सेंटिलीज ने उन्हें पहचान लिया और इस बार उनका व्यवहार दोस्ताना था। वे उनकी नाव के पास आ गए।  कुछ तो नाव पर चढ़ गए। मधुमाला को तट पर पाँव रखने की अनुमति मिल गयी। उपग्रह युग की एक महिला का पाषाण युग के बाशिंदों की धरती पर कदम रखना चन्द्रमा पर मानव के पहुँचने जैसा ही कारनामा था।
दुनिया के सबसे पुराने बाशिंदों के साथ मधुमाला फिर मिलना चाहती थीं। इस सम्बन्ध में उन्होंने अधिकारियों से अनुरोध भी किया लेकिन सेंटिलीज को सुरक्षित रखने की नीति के कारण उन्हें अनुमति नहीं मिली। मधुमाला ने अंडमान की जनजातियों के अन्य समूहों के साथ भी संपर्क किया।  ये जनजातियां सेंटिलीज से भिन्न हैं और बाहरी लोगों के प्रति ज्यादा खुली हुई हैं।




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