Monday, 26 November 2018

 "Abandon efforts to recover John Allen Chau’s body"-Survival International’s Director Stephen Corry  
FULL STATEMENT ( NOVEMBER 26)
“We urge the Indian authorities to abandon efforts to recover John Allen Chau’s body. Any such attempt is incredibly dangerous, both for the Indian officials, but also for the Sentinelese, who face being wiped out if any outside diseases are introduced.
“The risk of a deadly epidemic of flu, measles or other outside disease is very real, and increases with every such contact. Such efforts in similar cases in the past have ended with the Sentinelese attempting to defend their island by force.
“Mr Chau’s body should be left alone, as should the Sentinelese. The weakening of the restrictions on visiting the islands must be revoked, and the exclusion zone around the island properly enforced.”

Thursday, 22 November 2018

Chairperson, National Commission for Scheduled Tribes (NCST),Dr. Nand Kumar Sai sent  a letter to the Union Home Minister on 8th August, 2018, requesting him to safeguard the interests of tribals under Protection of Aboriginal Tribes Regulations in this regard

Sentinel Island Incident : Indian Home Ministry is in Dock;
 Ignored National Tribal Commission's report on safety of aborigine people or  "Particularly Vulnerable Tribes Groups" (PVTGs)
Sentinel Island incident : National Commission For Scheduled Tribe (NCST) expressed serious concern over activities of foreign tourists in Andaman &Nicobar  

NCST expresses serious concern over incident involving US National in A&N Islands

Seeks Immediate Report from Ministry of Home Affairs (MHA) and A&N administration

The National Commission for Scheduled Tribes has expressed serious concern over the news report regarding one US National feared killed by protected tribe in Andaman and Nicobar Islands. Calling this incident as unfortunate, the Commission has sought immediate report from Ministry of Home Affairs as well as Andaman and Nicobar Administration.
On 13th July, 2018 based on the complaint received from Prof. Vishwajit Pandya, the Commission had sought information from the Ministry of Home Affairs and Andaman and Nicobar Islands regarding relaxation of the Restricted Area Permit (RAP) for foreign nationals and tourism development in 29 islands of Andaman & Nicobar Islands. The report of Ministry of Home Affairs as well as Andaman & Nicobar Islands is yet to be received.
The Commission had held a two day Conference on 27th and 28th June, 2018 to discuss critical issues concerning Particularly Vulnerable Tribes Groups (PVTGs) of Andaman & Nicobar Islands. The recommendations of the two day conference have been adopted by the Commission in its 107th meeting held recently. The commission had advised the Government to be ultra-sensitive to the vulnerability of the PVTGs in Andaman & Nicobar Islands and any attempt for tourism development etc, in these islands, which can create unwarranted and dramatic cultural changes for PVTGs, should be looked into and stopped forthwith.                      
Chairperson, NCST, Dr. Nand Kumar Sai has also written a letter to the Union Home Minister on 8th August, 2018, requesting him to safeguard the interests of tribals under Protection of Aboriginal Tribes Regulations in this regard.

Stop Extinction Tourism in Andaman and Nicobar : A timely warning from "Survival Internantional"



An American man, reportedly a missionary, has been killed by members of the Sentinelese tribe in the Andaman Islands, India. Survival International’s Director Stephen Corry said today:
 
“This tragedy should never have been allowed to happen. The Indian authorities should have been enforcing the protection of the Sentinelese and their island for the safety of both the tribe and outsiders.
 
“Instead, a few months ago the authorities lifted one of the restrictions that had been protecting the Sentinelese tribe’s island from foreign tourists, which sent exactly the wrong message, and may have contributed to this terrible event.
 
“It’s not impossible that the Sentinelese have just been infected by deadly pathogens to which they have no immunity, with the potential to wipe out the entire tribe.
 
The Sentinelese have shown again and again that they want to be left alone, and their wishes should be respected. The British colonial occupation of the Andaman Islands decimated the tribes living there, wiping out thousands of tribespeople, and only a fraction of the original population now survive. So the Sentinelese fear of outsiders is very understandable.
 
Uncontacted tribes must have their lands properly protected. They’re the most vulnerable peoples on the planet. Whole populations are being wiped out by violence from outsiders who steal their land and resources, and by diseases like the flu and measles to which they have no resistance.
 
“Tribes like the Sentinelese face catastrophe unless their land is protected. I hope this tragedy acts as a wake up call to the Indian authorities to avert another disaster and properly protect the lands of both the Sentinelese, and the other Andaman tribes, from further invaders.”
"भारत सरकार अंडमान के सेंटिनिलीज आदिवासियों की जीवन रक्षा करे "- दुनिया भर से गुहार 
अमेरिकी धर्म प्रचारक की मौत से यही सबक हासिल होता है
नई दिल्ली, 22  नवंबर .  अंडमान के उत्तरी सेंटिनल द्वीप में 55 हजार वर्षों से जीवन बसर करने वाले अति प्राचीन आदिवासी समुदाय के मुट्ठी भर बचे रह गए लोगों की रक्षा करने के लिए दुनिया भर से गुहार की जा रही है। भारत सरकार से अपील की जा रही है कि वह इस द्वीप को पहले की तरह प्रतिबंधित क्षेत्र  बनाये रखे तथा पर्यटन के नाम पर इन पूर्व पाषाणकालीन मानवों का जीवन खतरे  में नहीं डालें। `
सेंटिनल द्वीप में ईसाई धर्म का प्रचार करने पहुंचा अमेरिका का एक युवक इन आदिवासियों के हमले में कुछ दिन पहले मारा गया। जॉन एलन चाओ नामक इस युवक की दुखद मृत्यु के बाद दुनिया भर में इन  आदिवासियों की अस्तित्व रक्षा  को लेकर चिंता व्यक्त की जा रही है। नृवंशशास्त्री, सामाजिक और मानवाधिकार कार्यकर्ता भारत सरकार से आग्रह कर रहे हैं कि सेंटिनेलीज आदिवासियों को उनके एकांत परिवेश में रहने दिया जाये। बाहरी दुनिया से संपर्क उनके जीवन को खतरे में डाल देगा। 
आधुनिक विश्व में जीवन रक्षा के लिए संघर्ष कर रहे आदिवासियों के लिए कार्यरत संस्था "सर्वाइवल इंटरनेशनल" के स्टीफेन  कोरी ने एक वक्तव्य में कहा कि अमेरिकी ईसाई धर्म प्रचारक जॉन एलन चाओ की मौत की नौबत ही नहीं आती यदि सेंटिनल द्वीप एक प्रतिबंधित क्षेत्र बना रहता। इन आदिवासियों और बाहरी लोगों की सुरक्षा के लिए इस द्वीप में किसी को जाने की अनुमति होनी ही नहीं चाहिए।
अंडमान और निकोबार द्वीपों में आदिवासियों पर दो दशक तक शोध करने वाली  समाज वैज्ञानिक सोफी ग्रिग ने भी आदिवासियों की जीवन शैली को बाहरी आक्रमण से सुरक्षित करने की गुहार लगाई है।
स्टीफेन कोरी ने खेद व्यक्त किया कि भारत सरकार ने कुछ महीने पहले इस क्षेत्र में जाने पर लगी रोक हटा ली थी जिसकी परिणति अमेरिकी युवक की मौत के रूप में हुई।  इस द्वीप को विदेश पर्यटकों के लिए खोलना आदिवासियों के जीवन को खतरे में डालना है। कोरी के अनुसार बाहरी लोग रोग के ऐसे विषाणु द्वीप में पहुंचा सकते हैं जिनका मुकाबला करने के लिए आदिवासियों में प्रतिरोध क्षमता नहीं हो।
"सर्वाइवल इंटरनेशनल" ने आशंका व्यक्त की है कि हो सकता है कि अमेरिकी धर्म प्रचारक की द्वीप पर मौजूदगी से आदिवासी संक्रमण का शिकार हो चुके हों। यदि ऐसा हुया  है तो शेष बचे रह गए सेंटिनिलीज का पूरी तरह खात्मा हो सकता है। एक अनुमान के अनुसार द्वीप पर आदिवासियों की संख्या 40 से सौ-दो सौ के  बीच है। 55 हजार वर्षों से जीवित बचा रहा यह समुदाय कितने दिनों तक धरती पर रह पायेगा यह नहीं कहा जा सकता।
आदिवासी अधिकार कार्यकर्ता ने कहा कि सेंटिनिलीज लोगों के  व्यवहार से यह सर्वज्ञात है कि वे अपने एकांत परिवेश में रहना चाहते हैं। उनकी इस भावना का सम्मान किया जाना चाहिए। अंडमान द्वीप में कुछ सदी पहले  तक हजारों प्राचीन आदिवासी रहते थे। अंग्रेजों के काल में अंडमान पर कब्जे के बाद हजारों आदिवासियों का जीवन नाश हुया।  अपने इन्हीं अनुभवों के कारण सेंटिनिलीज बाहरी लोगों से आशंकित रहते हैं। उनकी आशंका जायज है।
 अंतर्राष्ट्रीय संस्था ने आग्रह किया है कि सेंटिनिलीज आदिवासियों के इलाके को सुरक्षित बनाये रखा जाना चाहिए। ये लोग अस्तित्व रक्षा के लिहाज से पृथ्वी  पर सबसे अधिक खतरे में हैं। दुनिया के अन्य देशों का अनुभव बताता  है कि बाहरी लोग आदिवासियों की जमीन और संसाधनों पर कब्जा कर लेते हैं और उन्हें फ्लू और चेचक जैसी बीमारियों  की ऐसी घातक सौगात देते हैं जिसका का सामना करने के लिए उनके शरीर में प्रतिरोध शक्ति नहीं होती।
आदिवासी अधिकार कार्यकर्ताओं ने भारत सरकार से अपील की है कि वह सेंटिनिलीज और अंडमान की अन्य आदिवासी प्रजातियों की रक्षा के लिए कारगार कदम उठाये और उन्हें बाहरी आक्रमणों से बचाये। अमेरिकी धर्म प्रचारक की मौत से यही सबक हासिल होता है कि अस्तित्व रक्षा के लिए संघर्ष कर रहे इन लोगों को बाहरी आक्रमणों से बचाया जाये।

Wednesday, 3 October 2018

Manikarnika-

Jhansi Ki Rani- Poem by 

Subhadra Kumari Chauhan (1904-1948)


खूब लड़ी मर्दानी, वह तो झांसी वाली रानी थी
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सिंहासन हिल उठे राजवंशों ने भृकुटी तानी थी,
बूढ़े भारत में भी आई फिर से नई जवानी थी,
गुमी हुई आज़ादी की कीमत सबने पहचानी थी,
दूर फिरंगी को करने की सबने मन में ठानी थी।

चमक उठी सन सत्तावन में, वह तलवार पुरानी थी,
बुंदेले हरबोलों के मुंह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मर्दानी, वह तो झांसी वाली रानी थी।।
कानपुर के नाना की, मुंहबोली बहन छबीली थी,
लक्ष्मीबाई नाम, पिता की वह संतान अकेली थी,
नाना के संग पढ़ती थी वह, नाना के संग खेली थी,
बरछी, ढाल, कृपाण, कटारी उसकी यही सहेली थी।
वीर शिवाजी की गाथाएं उसको याद ज़बानी थी,
बुंदेले हरबोलों के मुंह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झांसी वाली रानी थी।।
लक्ष्मी थी या दुर्गा थी वह स्वयं वीरता की अवतार,
देख मराठे पुलकित होते उसकी तलवारों के वार,
नकली युद्ध-व्यूह की रचना और खेलना खूब शिकार,
सैन्य घेरना, दुर्ग तोड़ना ये थे उसके प्रिय खिलवाड़।
महाराष्ट्र-कुल-देवी उसकी भी आराध्य भवानी थी,
बुंदेले हरबोलों के मुंह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी।।
हुई वीरता की वैभव के साथ सगाई झांसी में,
ब्याह हुआ रानी बन आई लक्ष्मीबाई झांसी में,
राजमहल में बजी बधाई खुशियां छाई झांसी में,
सुघट बुंदेलों की विरुदावलि-सी वह आयी थी झांसी में।
चित्रा ने अर्जुन को पाया, शिव को मिली भवानी थी,
बुंदेले हरबोलों के मुंह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झांसी वाली रानी थी।।
उदित हुआ सौभाग्य, मुदित महलों में उजियाली छाई,
किंतु कालगति चुपके-चुपके काली घटा घेर लाई,
तीर चलाने वाले कर में उसे चूड़ियां कब भाई,
रानी विधवा हुई, हाय! विधि को भी नहीं दया आई।
निसंतान मरे राजाजी रानी शोक-समानी थी,
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी।।
बुझा दीप झांसी का तब डलहौज़ी मन में हरषाया,
राज्य हड़प करने का उसने यह अच्छा अवसर पाया,
फ़ौरन फौजें भेज दुर्ग पर अपना झंडा फहराया,
लावारिस का वारिस बनकर ब्रिटिश राज्य झांसी आया।
अश्रुपूर्ण रानी ने देखा झांसी हुई बीरानी थी,
बुंदेले हरबोलों के मुंह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झांसी वाली रानी थी।।
अनुनय विनय नहीं सुनती है, विकट शासकों की माया,
व्यापारी बन दया चाहता था जब यह भारत आया,
डलहौज़ी ने पैर पसारे, अब तो पलट गई काया,
राजाओं नव्वाबों को भी उसने पैरों ठुकराया।
रानी दासी बनी, बनी यह दासी अब महरानी थी,
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झांसी वाली रानी थी।।
छिनी राजधानी दिल्ली की, लखनऊ छीना बातों-बात,
कैद पेशवा था बिठूर में, हुआ नागपुर का भी घात,
उदैपुर, तंजौर, सतारा,कर्नाटक की कौन बिसात?
जब कि सिंध, पंजाब ब्रह्म पर अभी हुआ था वज्र-निपात।
बंगाले, मद्रास आदि की भी तो वही कहानी थी,
बुंदेले हरबोलों के मुंह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झांसी वाली रानी थी।।
रानी रोईं रनिवासों में, बेगम ग़म से थीं बेज़ार,
उनके गहने कपड़े बिकते थे कलकत्ते के बाज़ार,
सरे आम नीलाम छापते थे अंग्रेज़ों के अखबार,
'नागपुर के ज़ेवर ले लो लखनऊ के लो नौलख हार'।
यों परदे की इज़्ज़त परदेशी के हाथ बिकानी थी,
बुंदेले हरबोलों के मुंह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झांसी वाली रानी थी।।
कुटियों में भी विषम वेदना, महलों में आहत अपमान,
वीर सैनिकों के मन में था अपने पुरखों का अभिमान,
नाना धुंधूपंत पेशवा जुटा रहा था सब सामान,
बहिन छबीली ने रण-चण्डी का कर दिया प्रकट आहवान।
हुआ यज्ञ प्रारम्भ उन्हें तो सोई ज्योति जगानी थी,
बुंदेले हरबोलों के मुंह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झांसी वाली रानी थी।।
महलों ने दी आग, झोंपड़ी ने ज्वाला सुलगाई थी,
यह स्वतंत्रता की चिनगारी अंतरतम से आई थी,
झांसी चेती, दिल्ली चेती, लखनऊ लपटें छाई थी,
मेरठ, कानपुर, पटना ने भारी धूम मचाई थी,

जबलपुर, कोल्हापुर में भी कुछ हलचल उकसानी थी,
बुंदेले हरबोलों के मुंह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी।।
इस स्वतंत्रता महायज्ञ में कई वीरवर आए काम,
नाना धुंधूपंत, तांतिया, चतुर अज़ीमुल्ला सरनाम,
अहमदशाह मौलवी, ठाकुर कुंवरसिंह सैनिक अभिराम,
भारत के इतिहास गगन में अमर रहेंगे जिनके नाम।
लेकिन आज जुर्म कहलाती उनकी जो कुरबानी थी,
बुंदेले हरबोलों के मुंह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झांसी वाली रानी थी।।
इनकी गाथा छोड़, चले हम झांसी के मैदानों में,
जहां खड़ी है लक्ष्मीबाई मर्द बनी मर्दानों में,
लेफ्टिनेंट वाकर आ पहुँचा, आगे बढ़ा जवानों में,
रानी ने तलवार खींच ली, हुया द्वंद असमानों में।
ज़ख्मी होकर वाकर भागा, उसे अजब हैरानी थी,
बुंदेले हरबोलों के मुंह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झांसी वाली रानी थी।।
रानी बढ़ी कालपी आई, कर सौ मील निरंतर पार,
घोड़ा थक कर गिरा भूमि पर गया स्वर्ग तत्काल सिधार,
यमुना तट पर अंग्रेज़ों ने फिर खाई रानी से हार,
विजयी रानी आगे चल दी, किया ग्वालियर पर अधिकार।
अंग्रेज़ों के मित्र सिंधिया ने छोड़ी राजधानी थी,
बुंदेले हरबोलों के मुंह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झांसी वाली रानी थी।।
विजय मिली, पर अंग्रेज़ों की फिर सेना घिर आई थी,
अबके जनरल स्मिथ सम्मुख था, उसने मुंह की खाई थी,
काना और मंदरा सखियां रानी के संग आई थी,
युद्ध क्षेत्र में उन दोनों ने भारी मार मचाई थी।
पर पीछे ह्यूरोज़ आ गया, हाय! घिरी अब रानी थी,
बुंदेले हरबोलों के मुंह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झांसी वाली रानी थी।।
तो भी रानी मार-काट कर चलती बनी सैन्य के पार,
किन्तु सामने नाला आया, था वह संकट विषम अपार,
घोड़ा अड़ा, नया घोड़ा था, इतने में आ गये सवार,
रानी एक, शत्रु बहुतेरे, होने लगे वार-पर-वार। 
घायल होकर गिरी सिंहनी उसे वीर गति पानी थी,
बुंदेले हरबोलों के मुंह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी।।
रानी गई सिधार चिता अब उसकी दिव्य सवारी थी,
मिला तेज से तेज, तेज की वह सच्ची अधिकारी थी,
अभी उम्र कुल तेइस की थी, मनुज नहीं अवतारी थी,
हमको जीवित करने आयी बन स्वतंत्रता-नारी थी,
दिखा गई पथ, सिखा गई हमको जो सीख सिखानी थी,
बुंदेले हरबोलों के मुंह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी।।
जाओ रानी याद रखेंगे ये कृतज्ञ भारतवासी,
यह तेरा बलिदान जगावेगा स्वतंत्रता अविनासी,
होवे चुप इतिहास, लगे सच्चाई को चाहे फांसी,
हो मदमाती विजय, मिटा दे गोलों से चाहे झांसी।
तेरा स्मारक तू ही होगी, तू खुद अमिट निशानी थी,
बुंदेले हरबोलों के मुंह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झांसी वाली रानी थी।।